कोरोना वायरस सभी मनुष्य और प्रकृति के लिये वरदान है ? देखिये कैसे।

सन्तो-महापुरूषो जी धन निरंकार जी और जो धन निरंकार को नही जानतें हैं, उनको मेरा हाथ जोड़कर नमस्कार स्वीकार हो ।

(सतगुरु माता सुदिक्षा सविदंर हरदेव सिंह जी महाराज जी) 

जैसा की हम सभी जानते हैं कि आज हम बहुँत ही भयंकर महामारी से जूझ रहे हैं।
जिसका नाम है- कोरोना वायरस । (Covid-19)
आज इस दैत्याकार वायरस ने पूरी दूनियाँ मे हाहाकार मचा दिया है। जो देश अपने आप को सर्वशक्तिमान मानते थे, जिनको अपने-अपने परमाणु बम और सेनाओं पर बहुँत ही अभिमान था उनके ये सब परमाणु हथियार और सेना धरे के धरे रह गयें। इन सारे देशो ने एक बहुँत ही सूक्ष्म दुश्मन के सामने अपने घुटने टेक दिये।
तो क्या ये वायरस किसी ने जानबूझकर बनाया है? और क्या ये चमगादड़ मे मिला है? नहीं?

              (कोरोना वायरस Pic Sourse--Google)

तो सन्तो यहाँ मुद्दा यह नहीं है कि किसने इसको बनाया है क्योकि मनुष्य मे इतनी ताकत नहीं है कि वो निरंकार की बनी हुई इस प्रकृति को तहस-नहस कर सके। वास्तव मे हम खूद ही प्रकृति को नाश करने का मुख्य कारण है।
चूंकि मानव तो एक जरिया है, वास्तव मे कुछ करने और कराने वाला तो स्वयं निरंकार है। क्योकि हमने इस धरा पे बहुँत ही गन्ध मचा रखी थी। तो शायद इसी गन्ध को साफ करने के लिऐ ही जन्मा हो यह वायरस।

               (कोरोना वायरस का फोटो-Google)

क्या पहले लोग नही मरते थे? इससे ज्यादा तो प्रतिदिन रोड एक्सीडेंट मे, आग लगने से, बाढ़ से, आत्महत्या करने तथा और बहुँत सारे कारणों से लोग मरते थे पर हमारा ध्यान उस ओर नहीं जाता था।
तो क्या यह वायरस मनुष्य और प्रकृति के लिये वरदान भी हो सकता है? जी हाँ बिल्कुल हो सकता है।
कैसें समझिये एक-एक करके फिर आप भी कहेंगे कि वास्तव मे यह जानलेवा तो है हि पर उतना हि लाभदायक भी है।
जो आज तक सभी सरकारें और देश ना कर पाए वो इस वायरस ने कर दिखाया है।
निम्न प्रकार से समझिए इसे---

1. आपसी सम्बन्धो मे सुधार--
दरहसल हम सभी अपने-अपने काम के चक्कर मे अपनी घर गृहस्थी के बारे मे भूल जाते हैं। बच्चो और बुजुर्गो पे ध्यान देना बन्द कर देते थे। बच्चो को माता-पिता का प्यार सही से नहीं मिल पा रहा था। बच्चो को क्या दिक्कत है। क्या कला है बच्चो मे, माता-पिता को पता नहीं चल पाता था।
आज कोरोना की वजह से माता-पिता, बच्चो और बुजुर्गो को अच्छे से समय दे पा रहे हैं। अब सभी साथ खेल रहे हैं। आज सभी घर मे रहकर एक सुखी परिवार की तरह रह रहे हैं। समाज से दूरी बनाकर इस वायरस ने घर मे नजदीकिया बढा दी है। एक प्रकार से डर ही सही पर आज हम सब मिलकर अपने घरों मे रह रहे हैं।

2.नदियों और तालाबों का साफ-सुथरा होना--
एक समय था जब हम नदियों और तालाबो के पानी पी लेते थे। उस समय बिल्कुल साफ पानी हुआ करता था और इसका शरीर पर कोई गलत प्रभाव नहीं पड़ता था।

                      (गंगा नदी)
पर हमारी गलतियों की वजह से नदियों और तालाबों का पानी इतना दूषित हो गया है कि आज हम पानी पीना तो दूर उसमे नहाना भी पसन्द नहीं करते हैं।

            (डॉल्फिन मछली पानी मे साफ दिखाई देती हुई)

गंगा नदी जो हमारी आस्था का प्रतीक मानी जाती है उसमे भी हमने खूब गन्ध मचाई है। जो मिला सब गंगा और यमुना मे फेक दिया। जितने भी कल-कारखाने चलते हैं उनका गन्दा पानी भी सब गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियों मे बहाया जाता है, जो नदियों मे उपस्थित जीवो के लिये और मनुष्य के लिये बहुँत ही ख़तरनाक और जानलेवा है।

  (पानी मे साफ दिखाई देती मछलियां pic Sours- Google)

जिस गंगा और यमुना नदियों की साफ सफाई के लिये सरकार ने लाखो और करोडों रूपये खर्च कर दिये फिर भी वह साफ नहीं हुईं।
अर्थात जो काम किसी से ना हुआ वो आज कुछ हद तक कोरोना ने कर दिया। क्योकि सभी छोटी-बड़ी कंपनी और कारखाने बन्द पड़े हैं। जब कंपनी और कारखाने बन्द रहेंगे तो उनका वेस्ट गन्दा पानी नदियों मे मे नहीं जाऐगा। जिससे पानी मे DO (Dissolve Oxygen) की मात्रा बढ़ेगी। जब पानी मे घूलित ऑक्सीजन की मात्रा बढेगी तो पानी मे उपस्थित जीव अच्छे से जीवन-यापन कर पायेंगे।
और यदि मानव घर से बाहर नहीं निकलेगा तो उसका मल-मूत्र भी नदियों मे नहीं बहेगा। तो नदियों का पानी साफ होगा।बल्कि हो भी रहा है।
कुछ दिन पहले सरकार की एक रिपोर्ट आई थी कि जबसे कोरोना वायरस की वजह से लोकडाउन लगा है गंगा और अन्य नदियों का पानी साफ हुआ है।
तो इस प्रकार हम कह सकते हैं कि कोरोना वायरस, नदियों और तालाबों के पानी और उसमे उपस्थित जीवो के लिये वरदान साबित हुआ है।

3.सुपर पावर देशो का घमंड चूर--
आज जितने भी सुपर पावर देश है वो एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ मे लगे हैं। अगर कोई देश किसी को कुछ भी बोलता है तो वह देश अपने सभी हथियार जैसे भाले,तलवार, बन्दूक, मिसाइल और बम आदि लेकर चढाई शुरू कर देते हैं। 
क्या इनको ये ज्ञात नहीं था कि एक छोटा सा भी वायरस इनको धूल चटा सकता है। 


                        (विकसित देश)
सबसे ज्यादा सर्वनाश कोरोना ने उन्ही देशो मे किया है जो अपने आप को निरंकार से भी बड़ा मानते हैं। जिनको परमात्मा से भी डर नहीं लगता है।
शायद वो यह नहीं जानते कि जो डॉकटर या वैज्ञानिक किसी भी चीज को बनाते हैं, वो कोई बम हो या कोई अविष्कार, उसके लिये बुद्धि भी ये परमात्मा ही देता है।
हम ये भूल जाते हैं कि इस अपने बनाने वाले से आगे हम कैसे निकल सकते हैं। 



हमारे पड़ोस मे एक बुजुर्ग महापुरूष है। बहुँत ही दूरदर्शी महात्मा हैं। एक दिन जब उनसे वार्तालाप चल रही थी तो उन्होंने बताया कि जो देश इस निरंकार प्रभु परमात्मा को कम मानते हैं जो अपनी शक्ति का घमंड करते रहते हैं, जिनमे प्रमुख हैं अमेरिका, फ्रांस, स्पेन, ब्रिटेन, चीन और इटली इत्यादि, उन्ही देशो को इसने ज्यादा तबाह किया है। उनकी बात सुनकर लगा कि वास्तव मे ऐसा हि है जो देश अपने आप पे घमंड कर रहें हैं परमात्मा ने इस कोरोना वायरस को जरिया बनाकर इन देशो को सबक सिखाया है । भारत मे तो स्वयं निरंकार का अवतार है तो यहाँ पे क्षति कम होगी।
तो इस तरह से इस परमात्मा के खिलाफ कोई भी जाता है तो उसको सबक सिखाने के लिये यह कुछ ना कुछ तरीका निकाल ही लेता है। इसकी महिमा तो ये खूद ही जाने।

4. मौसम का साफ होना---
अभी कुछ ही दिन पहले नासा ने जब अपने सैटेलाइट से धरती की अलग-अलग जगह की तस्वीरें ली तो पता चला कि जो धरती ऊपर से देखने पे धूमिल दिखती थीं वो आज  अचानक साफ कैसे हो गई। इसकी वजह है प्रदूषण मे कमी।


2016 मे जो फोटो लिये थे उनकी तुलना मे आज 2020 की फोटो साफ आ रही हैं।
क्योकि आसमान मे गाड़ियों और कल कारखाने के धुएं से जो कालिख छाई रहती थी वो धीरे-धीरे हटने लगी है। 75 साल बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि आसमान इतना साफ हुआ है।


आसमान मे नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड की सांद्रता कम हुई है। अतः जितने दिन गाड़ी और कारखाने नहीं चलेंगे। मौसम बिल्कुल शान्त और साफ रहेगा।


अतः कोरोना वायरस का मौसम को साफ रखने मे पूरा योगदान रहा है।

5. जंगलो का कटान रूकना---
आज कोरोना वायरस की वजह से जंगलो का कटान अचानक से रूक गया है। ऑक्सीजन की मात्रा मे भी सुधार हुआ है। जिससे आज खुली हवा मिल रही है। लोगो के घर मे रहने से जंगलो का कटान रुक सा गया है जो उसमे रहने वाले जीवो और मानव दोनो के लिए फायदेमंद है।



6.ओजोन लेयर के छिद्र का भरना--
इसी अप्रैल महीने की शुरुआत मे वैज्ञानिकों द्वारा प्रथवी के उत्तरी ध्रुव या नोर्थ पोल पर स्थित ओजोन लेयर मे एक 10 लाख वर्ग किलोमीटर का छिद्र देखा गया था। यह आज तक देखे गए किसी भी छेद से बहुँत बड़ा था। वैज्ञानिको का दावा है कि यह छिद्र प्रदूषण कम होने की वजह से भर चूका है अर्थात अब सही हो गया है।
                        (ओजोन लेयर छिद्र)
तो सिर्फ कोरोना वायरस आने की वजह से ही एसा हुआ है।  वरना संसार मे कोई दूसरी शक्ति नहीं है किसी भी देश के पास, कि वो इतने बड़े छिद्र की भरपाई कर सके।
यहाँ मै बता दू कि ओजोन लेयर मे छिद्र होने की वजह तीन तत्व है- क्लोरोफलोरोकारबन, बादल और हाईडरोकलोरोफलोरोकारबन ।
जब इन गैसों की मात्रा वायुमंडल मे कम हो गयी तो छिद्र भरता चला गया।
तो इस प्रकार मनुष्य द्वारा अपने घर मे रहने से गाड़ियाँ कम चलेंगी, कारखाने कम चलेंगे, पेड़ कम कटेंगे। ना तो वायु प्रदूषण होगा, ना ही जल प्रदूषण होगा, ना ही ध्वनि प्रदूषण होगा और ना ही अन्य किसी प्रकार का प्रदूषण होगा।
अब जब ये सब कुछ दिन बन्द रहेंगे तो प्रदूषण कम होगा और हमे शुद्ध वायु मिलेगी। जानवर सुरक्षित रहेंगे।
नदियाँ साफ सुथरी रहेंगी। मौसम साफ रहेंगा।
और ये सब मुमकिन हो पाया है कोरोना वायरस की वजह से।
अतः हम कह सकते हैं कि यह कोरोना वायरस जानलेवा सूक्ष्म जीव होने के साथ-साथ प्रकृति के लिये एक वरदान भी है।

तो इस प्रकार सन्तो ये थी एक छोटी सी कोशिश। अगर अच्छी लगे और आपको भी ऐसा लगता है तो अपने कमंट जरूर करे और कोई सुझाव हो तो हमें जरूर बताये।
धन निरंकार जी।
धन्यवाद।

Comments

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  2. dhan nirankar ji

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