जिनके जीवन मे गुरु है वो लोग कितने भाग्यशाली हैं।

सन्तो महापुरूषो जी धन निरंकार जी और जो धन निरंकार को नही जानते हैं उनको मेरा हाथ जोड़कर नमस्कार स्वीकार हो 
            सतगुरु माता सुदिक्षा हरदेव सिंह जी महाराज जी। 

वैसे तो गुरु की महिमा को शब्दो मे नही उतारा जा सकता है फिर भी एक छोटे उदहारण सहायता से पता करेंगे की जीवन मे गुरु का साथ होने से क्या प्रभाव पड़ता है। 
"चीटी कितनी छोटी होती है। यदि उसको दिल्ली से मुम्बई जाना पड़े तो 2-3 जन्म तो लेने पडेंगे ही। पर यही चीटी यदि किसी दिल्ली से मुम्बई जाने वाले व्यक्ति के कपड़ो पर बैठ जाये तो बड़े आराम से दिल्ली से मुम्बई पहुंच जायेगी।
ठीक इसी प्रकार अपने प्रयास से भव सागर को पार करना बहुँत ही कठिन होता है। 
पता नहीं कितने जन्म लेने पडेंगे। पर फिर भी प्रभु परमात्मा का मिलना आसान नही है। 
यदि हम गुरु का हाथ पकड़ ले और उनके बताये हुऐ सन्मार्ग पर श्रद्धापूर्वक चले तो गुरु बड़े आराम से हमको भवसागर से पार लगा सकते हैं। 
तो हमको इस भवसागर से पार उरने के लिये गुरु का हाथ पकड़ने की जरूरत है। वरना इस दुनिया मे कोई दुसरी शक्ति नही है जो इस निरंकार प्रभु के दर्शन कराके भवसागर अर्थात योनियो के चक्कर से छुटकारा दिला दे।
इस प्रकार हमारे जीवन मे गुरु अर्थात सतगुरु आवश्यकता है। जो हमे बनाना जरूरी है। 
अतः गुरु की महिमा अनन्त है ।
धन निरंकार जी। 
धन्यवाद। 

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