क्यो सतगुरु की नौकरी अच्छी होती है? कौन करता है ये नौकरी?कितना आनन्द होता है सतगुरु अर्थात निरंकार प्रभु परमात्मा की नौकरी मे?

सन्तो, महापुरूषो जी धन निरंकार जी, और जो धन निरंकार को नही जानते, उनको मेरा हाथ जोड़कर नमस्कार स्वीकार हो । सतगुरु माता सुदिक्षा जी। ( Pic Sourse- Google) आज हम बात करेंगे कि सतगुरु (परमात्मा का साकार) की नौकरी (निस्वार्थ सेवा) मे कितना आनन्द होता है। निरंकार का नौकर खुद निरंकार होता है कैसे? सतगुरु की जो नौकरी करता है, उसके पास तीनो लोको के सारे सुख होते हैं। तीनो लोको मे उसका यश गाया जाता है। सूर्य, धरती, चन्द्रमा, ग्रह, तारे, पानी, वर्षा, बादल आकाश, अग्नि,धूप और ठंड इत्यादि अपना-अपना काम निस्वार्थ रूप से करते रहते है, ये सभी निरंकार की नौकरी करते रहते हैं। सभी अपने समय से सारा काम करते रहते हैं। जैसा ही निरंकार प्रभु परमात्मा का आदेश होता है,उस काम (सेवा) को अच्छे से निभाते चले जाते हैं। सभी को निरंकार ने अलग-अलग सेवा बक्सि है, और सभी निस्वार्थ रूप से अपनी सेवा को पूरा करते हैं। तो इस प्रकार सतगुरु का नौकर (सेवक) जो होता है वो परमानंद से भरा रहता है। जो इसकी नौकरी करता है, वह निरंकार का बहुत खास होता है और वह उसे( नौकर...